"सफर की खूबसूरती: खुद से मिलने का अनोखा रास्ता | Travel Blog"
सफर वो नहीं जो मंज़िल तक ले जाए, सफर वो है जो हमें खुद से मिला दे। कभी-कभी ज़िंदगी में ऐसा दौर आता है, जब हर रिश्ता, हर चेहरा, और हर जगह एक जैसी लगने लगती है। दिल भारी-सा होता है, और मन बेचैन। न जाने किस बात की तलाश होती है, बस इतना सा अहसास होता है कि अब रुकना मुमकिन नहीं। ऐसे में बैग उठाकर निकल जाना चाहिए, कहीं दूर… जहां ना कोई पहचान हो, ना कोई सवाल। मैंने भी ऐसा ही किया। एक दिन सब छोड़कर निकल पड़ी उन रास्तों पर, जिनका अंजाम मुझे नहीं पता था। मुझे नहीं मालूम था कि वो पहाड़ मुझे क्या सिखाएंगे, वो नदियां क्या कहेंगी, और वो अनजान रास्ते मुझे किस मंज़िल तक ले जाएंगे। रास्ते जो दिल के बेहद करीब हो गए। सफर में सबसे खास चीज़ होती है — रास्ते। वो पगडंडियां, वो पेड़ जिनके नीचे बैठकर मैं घंटों आसमान देखती रही। रास्ते में मिले वो अनजान लोग, जो कुछ पल के लिए ही सही मगर ज़िंदगी का हिस्सा बन गए। कभी-कभी किसी छोटे से गांव में रुक जाना, किसी बच्चे की मुस्कान देखना, या फिर किसी बूढ़े बाबा की कहानियां सुनना — ये लम्हे तुम्हें एहसास दिलाते हैं कि असली ज़िंदगी किताबों और मोबाइल की स्क्रीन में नह...