"रोटी का आविष्कार कब और कैसे हुआ? जानिए इसका दिलचस्प इतिहास और कहानी"

                                                                                                                                          



                                                               


🫓 रोटी का आविष्कार: इतिहास की थाली से एक दिलचस्प कहानी

रोटी, जो आज हर भारतीय रसोई का अहम हिस्सा है, कभी भी बस एक साधारण आटा और पानी का मिश्रण नहीं था। इसके पीछे भी एक रोचक इतिहास और विकास की कहानी छुपी है। चलिए, इस ब्लॉग में जानते हैं रोटी के आविष्कार और इसके सफर के बारे में।

📜 रोटी का इतिहास

इतिहासकारों के अनुसार, रोटी का अस्तित्व लगभग 5000 साल पहले मेसोपोटामिया (आज का इराक) और मिस्र की सभ्यताओं में पाया जाता है। उस समय लोग गेहूं और जौ को पीसकर उसका आटा बनाते थे और फिर पत्थरों पर सेंक कर खाने लगे।

प्राचीन मिस्र में लोग खमीर (yeast) डालकर ब्रेड बनाते थे, लेकिन भारतीय उपमहाद्वीप में बिना खमीर के सीधी पतली गोल रोटी बनाई जाती थी। यह जल्दी पक जाती थी और स्वादिष्ट भी लगती थी। धीरे-धीरे यह परंपरा भारत, पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश में फैल गई।

🌾 भारत में रोटी का चलन

भारत में रोटी का ज़िक्र 1500 ईसा पूर्व में लिखे गए वैदिक ग्रंथों में भी मिलता है। उस समय इसे 'रोटिका' कहा जाता था। इसे खुले अग्नि पर या तवे जैसी चीज़ पर पकाया जाता था।

मुगल काल में रोटी ने और भी रंग रूप बदले। अकबर के ज़माने में कई किस्म की रोटियां बनाई जाती थीं — जैसे नान, तंदूरी रोटी, पराठा और पूड़ी।

🍽️ रोटी के प्रकार

आज रोटी कई रूपों में हमारे सामने आती है:

  • सादी रोटी

  • तंदूरी रोटी

  • बाजरे, ज्वार, मक्के की रोटी

  • मिठाई वाली मीठी रोटी

  • भरवां पराठा

हर राज्य में इसकी अपनी एक खासियत और स्वाद है।

🌍 रोटी की अहमियत

रोटी केवल एक भोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का हिस्सा है। शादी-ब्याह, व्रत-त्योहार, या रोज़ाना की थाली — रोटी हर जगह अपनी मौजूदगी दर्ज कराती है।

आज भी गाँवों में रोटियां मिट्टी के चूल्हे पर सिकी जाती हैं, जिसकी खुशबू और स्वाद कुछ अलग ही होता है।


✨ निष्कर्ष

रोटी का इतिहास बेहद पुराना और दिलचस्प है। एक सादा सा व्यंजन समय के साथ हर सभ्यता और हर संस्कृति का हिस्सा बन गया। आज भी रोटी हर भारतीय की थाली की शान है।


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धन्यवाद!



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